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Sunday 22 February 2015

लिंग बाहर निकल कर स्खलन- ये जानकर तोड़ डालें मिथ्या






ये तरीका साधारण है, स्खलन से ठीक पहले लिंग बाहर खींच लिया जाये ताकि योनि के अंदर वीर्य न पहुंचे। ये तरीका कारगर तो हो सकता है लेकिन सौ फीसदी कामयाब नहीं।
जब इससे तरीके का प्रयोग सही तरीके से किया जाये तब भी 100 में से 4 महिलाओं को गर्भ ठहर ही जाता है।
जिन लोगों ने इस काम में दक्षता हासिल नहीं की है, उन लोगों में गर्भ ठहरने का हर साल का प्रतिशत 27 तक पाया गया।
मिथ्या 2 : लिंग बाहर निकल कर स्खलन करना आसान क्रिया है
यदि पुरुष सही समय पर लिंग बाहर खींच भी ले तो भी गर्भ ठहरने की पूरी सम्भावना को नाकारा नहीं जा सकता क्यूंकि सेक्स के दौरान संभव है की थोड़ी मात्रा में वीर्य का रिसाव हो रहा हो और आप अनभिज्ञ हों। यही छोटी मात्रा का रिसाव गर्भ की वजह बन सकता है।

यह सुनने में आसान भले ही लगता हो, लेकिन असल में उतना आसान नहीं है, खासकर उनके लिए जो हाल ही मैं ये तरीका अपनाने लगे हैं। इसके लिए दोनों साथियों में सही तालमेल की ज़रूरत होती है। अनचाहे गर्भ के खतरे से सुरक्षा के लिए ज़रूरी है की आप कोई और विश्वसनीय तरीका अपनाएं।
मिथ्या 3 : सही समय पर लिंग खींच लेने के लिए पुरुषों पर भरोसा किया जा सकता है
वो जोड़े जिनमे आत्म-नियंत्रण, अनुभव और विश्वास हो, इस तरीके का उपयोग सही तरीके से कर सकते हैं। अगर तीनो में से एक भी चीज़ की कमी हो तो बेहतर है की कोई और तरीका अपनाया जाए।
जो पुरुष इस तरीके का प्रयोग करते हैं, उन्हें इस बात का सही अंदाज़ा होना चाहिए की कब उनका स्खलन होने वाला है, क्यूंकि गलती की गुंजाइश बहुत काम है। इसलिए यह तरीका अनुभवहीन या शीघ्रपतन से जूझ रहे पुरुषों के लिए उपयुक्त नहीं है। क्यूंकि अगर सही समय पर लिंग बाहर न निकला जाये तो गर्भ ठहर सकता है।

 इस तरीके को अक्सर असरदार तरीका नहीं मन जाता जबकि सच ये है की 60 प्रतिशत जोड़ों ने इसका प्रयोग कभी न कभी ज़रूर किया है।

हालांकि गटमाकर संस्थान, न्यू यॉर्क द्वारा की गयी रिसर्च से पता चलता है की अगर लिंग को सही समय बाहर निकल लिया जाये तो अनचाहे गर्भ से 96 फ़ीसदी तक बचा जा सकता है।

कंडोम की मदद से इस बचाव की संख्या है 98 फीसदी। ज़्यादा फर्क नहीं, है ना?

सही तरीके से अंजाम दिया जाये तो ये अवश्य एक कारगर तरीका हो सकता है। बात ये है की हर बार इसे सही अंजाम देना शायद आसान नहीं है। लेकिन फिर भी, कोई तरीका इस्तेमाल ना करने से बेहतर ये तरीका ही है।

हाल ही के एक अमरीकी अध्यन से पता चलता है की 5 फीसदी लोग गर्भ से बचाव के लिए केवल इसी तरीके का प्रयोग करते हैं, 15-44 साल की 60 फीसदी महिलाओं ने इस तरीके का इस्तेमाल कभी ना कभी किया है। कहानी का सार ये है कि हर उम्र के लोग गर्भ से बचने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।

मिथ्या 6 : रिसाव वाले वीर्य में शुक्राणु नहीं होते

हर पुरुष को जाने अनजाने में थोड़ा वीर्य का रिसाव हो सकता है। कई रिसर्च इस बात कि पुष्टि करती हैं कि रिसाव वाले वीर्य में शुक्राणु मौजूद नहीं होते, लेकिन ये रिसाव पहले के बचे हुए वीर्य के साथ बाहर आकर गर्भ का कारण बनने में सक्षम अवश्य है। इसलिए बेहतर है कि सेक्स से पहले पेशाब किया जाये और लिंग को अच्छी तरह धोकर साफ़ किया जाये।

नहीं! इस तरीके से सेक्स संक्रमण का खतरा पूरी तरह से है। कंडोम ही सेक्स संक्रमण से बचने का सही तरीका है।

मिथ्या 8 : किसी तैयारी कि ज़रूरत नहीं
किताबी तौर पर तो किसी तैयारी कि ज़रूरत नहीं है। लेकिन फिर भी, सेक्स से पहले यह बेहतर होगा कि पेशाब के ज़रिये बचा खुचा शुक्राणु वाला वीर्य फ्लश कर दिया जाये। लिंग को साफ़ कर लिया जाये।
यदि स्खलन महिला के शरीर के ऊपर किया गया है तो उसे भी अच्छी तरह से साफ़ कर लेना ज़रूरी है।

Source: http://goo.gl/Lhr5lr

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