हर व्यक्ति के मन में अपने होने वाले जीवनसाथी की एक छवि होती है। इस अ़क्स को चेहरा भले ही बाद में मिले, लेकिन हमराही की ख़ूबियों की फ़ेहरिस्त हम बहुत पहले ही बना चुके होते हैं। विवाह के बाद के शुरुआती दिनों में पति-पत्नी, दोनों के लिए एक-दूसरे को समझना काफ़ी चुनौतीपूर्ण होता है। जानने-समझने की इस कोशिश के साथ-साथ दोनों के मन में अवलोकन भी चलता रहता है कि काल्पनिक अ़क्स और वास्तविक जीवनसाथी में कितनी समानता या असमानता है।
वैवाहिक बंधन जीवन के पथ पर साथ चलने वाले हमसफ़र की सौगात देता है। नई पारी के शुरुआती दिन सुहाने रहे, रिश्ते की मिठास बढ़ जाएगी, जबकि कटु अनुभव दूरियां बढ़ा भी सकते हैं।
लेकिन बहुत-से नव विवाहित विवाह के बाद शुरुआती दिनों में कुछ ग़लतियां कर बैठते हैं, जिससे इस रिश्ते की मिठास फीकी पड़ने लगती है। जरा ग़ौर करें...
दोस्तों को प्राथमिकता
दोस्तों के साथ घंटों बैठना, गप्पें मारना हम सभी को अच्छा लगता है, लेकिन शादी के बाद नई जिम्मेदारियों को निभाने के लिए भी थोड़ा समय चाहिए। पत्नी घर पर इंतजार कर रही है, लेकिन पति दोस्तों में मशगूल है, तो समस्या तय है। दूसरी ओर, दिनभर के बाद पति को आपके साथ व़क्त बिताने का मौक़ा मिला, लेकिन आप सहेलियों के साथ फोन पर बातें करने में व्यस्त हैं, तो पति को भी बुरा लगेगा।
सलाह- जिस तरह नए पौधे को फलने-फूलने के लिए थोड़ी ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही नए रिश्ते को निभाने के लिए भी आपको थोड़े ज्यादा प्रयास करने होंगे। एक बार तालमेल बैठ गया, फिर कोई परेशानी नहीं होगी। इसका मतलब यह नहीं कि विवाह के बाद आप दोस्तों को बिल्कुल समय नहीं दे सकते, बस, नए और पुराने रिश्तों के बीच सामंजस्य बैठाना सीख लीजिए। आख़िरकार, साथी को भी इतनी समझ है कि हर व्यक्ति को थोड़ा स्पेस चाहिए।
निजता की दरकार
अमूमन हर पति-पत्नी के बीच छोटी-मोटी बातों को लेकर कहा-सुनी हो जाती है। इन मुद्दों को क़रीबियों से कहने की ग़लती आपके जीवनसाथी को शर्मिदा कर सकती है। सलाह- शांत मन से जीवनसाथी के दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें और समस्या के निदान पर विचार करें। इसके बावजूद कोई हल न सूझे, तो शांति के साथ जीवनसाथी से अपने मन का द्वंद्व साझा करें।
टोकना बुरा नहीं है पर..
पत्नियां अक्सर शिक़ायत करती हैं कि ‘ये’ चीजों को इस्तेमाल करने के बाद सही जगह नहीं रखते, अलमारी के कपड़े अस्त-व्यस्त कर देते हैं आदि। ऐसे ही पतियों को भी पत्नियों की कई बातें पसंद नहीं होतीं। ऐसी चीजों के लिए अक्सर हम सामने वाले व्यक्ति को कड़े ल़फ्जों में टोक देते हैं, तो उसके मन को ठेस पहुंचना ही है।
सलाह- अलग-अलग परिवेश में पले-बढ़े लोगों के रहन-सहन में फ़र्क़ होता ही है। एक-दूसरे के अनुरूप हम सभी थोड़ा-थोड़ा बदलते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में थोड़ा समय लगता है। यदि साथी की किसी बात या आदत को आप पसंद नहीं करते, तो मौक़ा देखकर उसे शांत लहजों में इस बारे में बताएं।
उत्सुकता नहीं सब्र
भारतीय विवाह सिर्फ़ दो लोगों नहीं, बल्कि दो परिवारों को आपस में जोड़ने के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। अब हर परिवार की कुछ बेहद निजी बातें भी होती हैं, जिन्हें नए व्यक्ति से तत्काल साझा करना सभी के लिए आसान नहीं होता। ऐसे ही किसी पुराने दोस्त या रिश्ते की बात भी हो सकती है, जिसके बारे में आपका जावनसाथी अभी बात करने के लिए तैयार न हो। ऐसी बातें अक्सर नए जोड़े के बीच तनाव का कारण बनती हैं। हम चाहते हैं कि हमराही अपनी हर बात साझा करे, लेकिन उसके लिए ऐसा करना मुश्किल होता है।
सलाह- विशेषज्ञ ऐसी स्थिति में सब्र से काम लेने की सलाह देते हैं। आज नहीं तो कल जीवनसाथी ख़ुद ही आपको ऐसी सभी बातों के बारे में जरूर बताएगा, लेकिन उसका विश्वास जीतने या भरोसा दिलाने के लिए कुछ व़क्त तो लगेगा। यदि महसूस हो कि वह अभी किसी विशेष पहलू के बारे में आपसे बात नहीं करना चाहता, तो उसकी इस भावना का सम्मान करें।
करें तौबा
जीवनसाथी के मोबाइल या ईमेल अकाउंट पर आए संदेशों को बार-बार टटोलना ठीक नहीं। यह तरीक़ा जताता है कि आपको उस पर विश्वास नहीं है।
नव विवाहित पति-पत्नी के बीच वित्तीय मामलों को लेकर भी कहा-सुनी हो जाती है। आपकी अब तक कितनी सेविंग है, बैंक खाता या बीमा पॉलिसी में किसका नामांकन है, जैसे प्रश्न पूछने से बचें। कुछ समय बाद साथी ख़ुद ही आपको इन सभी चीजों की जानकारी दे देगा।
सोशल नेटवर्किग
साइट्स होती तो खुली क़िताब की तरह है, लेकिन हर व्यक्ति इन्हें अपने अनुसार ही मैनेज करना चाहता है। पति-पत्नी, दोनों एक-दूसरे को वचरुअल फेंड्र्स की तादाद या तस्वीरों पर मिलने वाली टिप्पणियों के बारे में न ही टोकें तो अच्छा होगा।
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