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Thursday 18 April 2013

क्या सेक्स से दोस्ती में दरार आती है?























लव और लस्ट में फर्क होता है। लेकिन दोस्ती की बुनियाद यदि केवल लस्ट हो तो समझ लीजिए यह मतलब की दोस्ती है। और जहां मतलब के लिए दोस्ती होती है वहां दोस्ती से मतलब नहीं रहता है। अब हम आते हैं उस सवाल पर कि क्या दोस्ती में सेक्स से दरार पैदा होती है? आगे क्लिक करें और जानें...

किसी भी शख्स को सेक्स पार्टनर चुनने की आजादी होती है। यह आजादी लड़के और लड़कियों दोनों के लिए है। समस्या तब पैदा होती है जब लड़के सेक्स को फतह की तरह लेते हैं और लड़कियां हार। जाहिर सी बात है हार जैसी भावना मन में आने पर इंसान ऐसा महसूस करता है मानो उसने कुछ खो दिया है। और जीत अहम को जन्म देता है।
अहम और खोने की भावना दोस्ती में दरार पैदा करती है जबकि दो ऐसे लोग जो नाबालिग नहीं हैं, उनके बीच आपसी सहमति से बने सेक्सुअल रिलेशन में ऐसी भावनाओँ के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
यदि आप पूरी तरह से आश्वस्त होकर अपने मन से बिना कोई दबाव के सेक्सुअल रिलेशन बनाते हैं तो उसमें पछतावा नहीं होना चाहिए। पछतावे की बात तब आती है जब आपको ऐसा लगे कि धोखा दिया गया है।
इन धोखों से बचने के लिए किसी भी शख्स से सेक्सुअल रिलेशन बनाने में जल्दीबाजी न करें। सेक्सुअल रिलेशन को लेकर जब भी आपको लगे कि यह थोपा जा रहा है उसी वक्त सतर्क हो जाएं। सेक्स बिल्कुल स्वच्छंद इरादा है इसका ख्याल हमेशा रखा जाना चाहिए। यहां किसी भी तरह के दबाव नहीं होने चाहिए। यहां तक कि इमोशनल दबाव भी नहीं। यदि ऐसा होता है तो आप सतर्क हो जाएं।
कई कपल्स को ऐसा कहते आप सुन सकते हैं कि मैंने अपने दोस्त के साथ सेक्सुअल रिलेशन बनाए लेकिन अब डर लग रहा है कि कहीं मेरी दोस्ती खत्म न हो जाए। दरअसल इस तरह की सोच कई बार इसलिए आती है क्योंकि जब आप दोस्ती करते हैं तब पता नहीं होता है कि इस हद तक करीब हो सकते हैं।
जब आप पहली बार सेक्सुअल रिलेशन बनाते हैं तो इस तरह के डर मन में ज्यादा होते हैं। लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही यह कोई जटिल मामला न रहकर नॉर्मल हो जाता है।
दोस्ती में सेक्स को लेकर कन्फ्यूजन रहने के कई कारण हैं। पहला महत्वपूर्ण कारण यह है कि मन में द्वंद्व बने रहते हैं-क्या शादी के पहले सेक्स करना चाहिए? जिससे शादी होगी उसी से सेक्स करना चाहिए या और कोई और सेक्स पार्टनर चुन सकते हैं? या फिर जिसके साथ सेक्सुअल रिलेशन बना रहे हैं उसने उस वक्त शादी का वादा किया है क्या वह वादे पर कायम रहेगा?
हमारे मन में कई तरह के नैतिक सवाल घूमते रहते हैं। ये सवाल हमारी परिपक्वता पर भारी पड़ते हैं और फिर कई तरह के डर हावी हो जाते हैं।
इसलिए सेक्स को लेकर मन में बने डर और वहम से घबराने के बजाय इस पर लॉजिकल होने की जरूरत है।

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